मानव रोगक्षम अल्पता विषाणु एवं अर्जित रोगक्षम अल्पता संलक्षण (निवारण एवं नियंत्रण) अधिनियम 2017 (एच.आई.व्ही./एड्स एक्ट 2017) को भारत सरकार द्वारा संपूर्ण देश के लिए 10 सितंबर 2018 को लागू किया गया, इस एक्ट के माध्यम से एच.आई.व्ही./एड्स के साथ जी रहे लोगों के प्रति एक ऐसा वातावरण निर्मित किया जाय जिससे कि इन्हें कार्य स्थलों शिक्षण संस्थानों, स्वास्थ्य सुविधाओं में किसी प्रकार की असुविधा महसूस न हो सके एवं इन सभी लोगों को उनके अधिकारों से भी वंचित न किया जा सके। इस एक्ट में यह भी व्यवस्था है कि जो लोग एच.आई.व्ही./एड्स के साथ जी रहें हैं उनके प्रति जो भेदभाव करते हैं, तो भेदभाव करने वालों को दंडात्मक कार्यवाही से भी गुजरना पड़ सकता है। इस एक्ट के माध्यम से एच.आई.व्ही./एड्स के साथ जी रहे लोगों के मूलभूत अधिकारों विधिक अधिकारों आदि की रक्षा की गई है।

कोई भी व्यक्ति/सन्सथा एच.आई.व्ही./एड्स के साथ जी रहे व्यक्ति को निम्न कारणों से सेवाएं या सुविधा देने से इंकार नहीं कर सकता।

1. कार्य या रोजगार देने से इंकार या कार्य/रोजगार से निकाल नहीं सकता।

2. कार्य या रोजगार देने, शिक्षा देने, स्वास्थ्य सुविधा देने के लिए एच.आई.व्ही. टेस्टिंग की शर्त नहीं रख सकता।

3. आम जनता के उपयोग के लिए समर्पित किसी भी सामान, आवास, सेवा, सुविधा के लाभ, उपयोग के संबंध में किसी को एच.आई.व्ही./एड्स की वजह से इंकार, रोक देना या अनुचित व्यवहार नहीं किया जा सकता।

4. किसी भी प्रकार के संपत्ति पर अधिकार, खरीदी, किराए के अधिकार से इंकार/वंचित नहीं किया जा सकता।

5. प्राइवेट / सार्वजनिक कार्यालय में किसी भी प्रकार की सेवा आदि के लिए अपारदर्शिता या अनुचित व्यवहार नहीं किया जा सकता।

सूचित सहमति से तात्पर्य है कि व्यक्ति को एच.आई.व्ही./एड्स की पूरी जानकारी है एवं उन्हें यह बताया गया है कि उनकी एच.आई.व्ही. टेस्टिंग उनकी सहमति से उनके हित के लिए की जा रही है एवं उनकी जाँच पुर्व परामर्श व जाँच पश्चात् परामर्श की जानी है। यह टेस्ट पूरी जानकारी एवं सहमति के बाद ही किया जा सकता है एवं व्यक्ति टेस्ट से इंकार भी कर सकता है।

कुछ केस में सूचित सहमति की आवश्यकता नहीं है।

’’अ’’ यदि किसी व्यक्ति की एच.आई.व्ही. टेस्टिंग के लिए न्यायालय द्वारा आदेशित हो तो एसी स्थिति में सूचित सहमति की आवश्यकता नहीं है।

’’ब’’ यदि किसी व्यक्ति के शरीर या शरीर के कोई भाग जैसे उतक, रक्त, वीर्य, या अन्य तरल जो कि अनुसंधान या उपचार के लिए प्रक्रिया करने, वितरण करने, प्रोक्योर करने, की स्थिति में सूचित सहमति की आवश्यकता नहीं है।
यदि टेस्ट रिजल्ट जो व्यक्ति डोनर होगा उसके द्वारा मांग किया जाय तो उस डोनर को डोनेशन से पहले काउंसलिंग व टेस्टिंग सेंटर में उनकी प्रीटेस्ट काउंसलिंग व पोस्ट टेस्ट काउंसलिंग व टेस्ट के लिए रेफेर किया जाता है। प्रीटेस्ट काउंसलिंग व पोस्ट टेस्ट काउंसलिंग के बिना वे रिपोर्ट प्राप्त करने के लिए पात्र नहीं होंगे।

’’स’’ महामारी व सर्विलांस के उद्देश्य से जहां एच.आई.व्ही. टेस्ट गुमनाम व किसी व्यक्ति विशेष के एच.आई.व्ही. स्थिति के लिए नहीं किया जा रहा हो तो एसी स्थिति में सूचित सहमति की आवश्यकता नहीं है।

’’द’’ किसी भी लाइसेंस प्राप्त ब्लड बैंक में स्क्रिीनिंग उद्देष्य से एच.आई.व्ही. टेस्ट किया जा रहा हो तो एैसी स्थिति में सूचित सहमति की आवष्यकता नहीं है।

उपरोक्त अतिरिक्त किसी भी व्यक्ति की एच.आई.व्ही. टेस्टिंग उस व्यक्ति की सूचित सहमति के बिना नहीं किया जाना है।

कोई भी व्यक्ति को किसी भी व्यक्ति का एच.आई.व्ही. स्थिति का प्रकटीकरण किसी से भी नहीं किया जाना है, न ही कोई एच.आई.व्ही. स्थिति का प्रकटीकरण के लिए मजबूर कर सकता है।

एच.आई.व्ही. स्थिति का प्रकटीकरण निम्न स्थिति में किया जा सकता हैः-

1. यदि न्यायालय द्वारा आदेश हो कि किसी व्यक्ति का एच.आई.व्ही. स्थिति का प्रकटीकरण की सूचना मामले में मुद्दों के निर्धारण हेतु न्यायहित में आवश्यक है।

2. कोई भी व्यक्ति को किसी भी व्यक्ति का एच.आई.व्ही. स्थिति का प्रकटीकरण किसी से भी नहीं किया जाना है, न ही कोई एच.आई.व्ही. स्थिति का प्रकटीकरण के लिए मजबूर कर सकता है। यदि संबंधित व्यक्ति का लिखित सहमति, जो रिकार्ड में हो तो उस स्थिति में लिखित संबंधित व्यक्ति से ही एच.आई.व्ही. स्थिति का प्रकटीकरण किया जा सकता है।

3. निम्न स्थिति में लिखित सहमति, जो रिकार्ड में हो की आवश्यकता नहीं है:-

1. यदि स्वास्थ्य सेवाएं देने वाला व्यक्ति दूसरे स्वास्थ्य सेवाएं देने वाला व्यक्ति व अन्य व्यक्ति जो आवश्यक सेवा, इलाज, काउंसलिंग, आदि दे रहें हों तो एसे व्यक्ति से इलाज आदि के लिए आवश्यक हो तो वहां संबंधित व्यक्ति से ही एच.आई.व्ही. स्थिति का प्रकटीकरण किया जा सकता है।

2. यदि कोर्ट द्वारा आदेश हो कि किसी व्यक्ति का एच.आई.व्ही. स्थिति का प्रकटीकरण की सूचना मामले में मुद्दों के निर्धारण हेतु न्यायहित में आवश्यक है, संबंधित व्यक्ति से ही एच.आई.व्ही. स्थिति का प्रकटीकरण किया जा सकता है।

3. कानूनी कार्यवाही करने वाले व्यक्ति जहां उक्त कानूनी प्रकिया के लिए आवश्यक हो तो वहां संबंधित व्यक्ति से ही एच.आई.व्ही. स्थिति का प्रकटीकरण किया जा सकता है।

4. यदि सांख्यिकीय या अन्य जानकारी जिससे व्यक्ति विशेष की जानकारी नहीं पता चले तो संबंधित डाटा हेतु एच.आई.व्ही. स्थिति का प्रकटीकरण किया जा सकता है।

5. केंद्र सरकार या राज्य सरकार के अधिकारियों से निगरानी, विकास या एच.आई.व्ही. के साथ जी रहे लोगों के लिए किसी प्रकार का पाॅलिसी या हित का कार्य हेतु एच.आई.व्ही. स्थिति का प्रकटीकरण किया जा सकता है।

एच.आई.व्ही. स्थिति का प्रकटीकरण एच.आई.व्ही. के साथ जी रहे व्यक्ति के जीवनसाथी, रिश्तेदार या सेवा देने वाले व्यक्ति को निम्न स्थिति में काउंसलर या चिकित्सक द्वारा किया जा सकता हैः-

1. जीवनसाथी रिश्तेदार या सेवा देने वाले व्यक्ति को एच.आई.व्ही. से संक्रमित हो सकने की संभावना से बचने के लिए एच.आई.व्ही. के साथ जी रहे व्यक्ति के हित के लिए, व अन्य संक्रमण से बचाने के लिए एच.आई.व्ही. स्थिति का प्रकटीकरण किया जा सकता है।

2. जीवनसाथी रिश्तेदार या सेवा देने वाले व्यक्ति की परामर्श व एच.आई.व्ही. के साथ जी रहे व्यक्ति की परामर्श आवश्यक है ताकि उनके हित में कार्य किया जा सके।

प्रत्येक एच.आई.व्ही. के साथ जी रहे व्यक्ति के पास घर में साझा निवास करने का अधिकार होगा और बिना भेदभावपूर्ण तरीके से घर की सुविधा का उपयोग, आनंद और उपभोग करने का अधिकार होगा।

एच.आई.व्ही. के साथ जी रहे व्यक्ति को एच.आई.व्ही. संक्रमण रोकने के लिए जिम्मेदार होना होगाः-

एच.आई.व्ही. के साथ जी रहे व्यक्ति को कौंसिल किया जाना चाहिए एवं जानकारी दिया जाना चाहिए कि वह एच.आई.व्ही. रोके जाने संबंधित सभी गाइडलाइन का पालन करे एवं किसी और व्यक्ति को एच.आई.व्ही. संक्रमण जाने अनजाने न दे दे।

हर व्यक्ति को जो रिकार्ड आदि संधारित करता है उसे गाइडलाइन के अनुसार समस्त एच.आई.व्ही. स्थिति का प्रकटीकरण संबंधित जानकारी की सुरक्षा की जानी चाहिए।

केंद्रीय व राज्य सरकार आईसीटीसी व एआरटी सेंटर्स व अन्य स्वास्थ्य सुविधाओं की वृद्वि कर समय समय पर हर संभव प्रयास करते हैं कि एन्टीरिट्रोवायरल थेरेपी और अवसरवादी संक्रमण का प्रबंधन किया जा सकें।

केंद्रीय व राज्य सरकार आवश्यक कदम उठाते हैं कि एच.आई.व्ही.या एड्स प्रभावित बच्चों को संपत्ति का अधिकार समान रूप से मिले इसके लिए इस प्रकार के बच्चों माता/पिता/अभिभावक अनुभाग 29 के तहत किशोर न्याय के सुरक्षा और देखभाल अधिनियम 2015 के तहत बच्चों के कल्याण कमेटी में अपनी बात रखा जा सकता है।

प्रत्येक प्रतिष्ठान,अन्य प्रतिष्ठान हेल्थ केयर सर्विसेस, जहां पर एच.आई.व्ही. होने के लिए व्यवसायिक जोखिम एक महत्वपूर्ण जोखिम हैः-

1. सार्वभौमिक सावधानी उन सभी लोगों को अपनानी चाहिए जो कार्यक्षेत्र में एच.आई.व्ही.के लिए रिस्क में हों।

2. सार्वभौमिक सावधानी के लिए तकनीकी रूप से प्रशिक्षित हों।

3. कार्यक्षेत्र में एच.आई.व्ही. के लिए जैसे एच.आई.व्ही. संक्रमित नीडिल प्रिक हो तो एसे रिस्क में हों उन्हें पोस्ट एक्सपोसर प्रोफाइलेक्सिस दवा दी जानी चाहिए।

Products
0
Patents
0
Employees
0 K
Countries
0
Our Company

Fast Growing Pharma Company

Mattis tristique tincidunt scelerisque neque felis non sed sed dignissim sit ornare fermentum velit amet mauris eget dui scelerisque augue cum tellus aliquet donec leo, euismod id mattis eu, tortor sit eget commodo egestas tincidunt tortor justo, porta pulvinar at.

Odio vel in nunc aenean dignissim dignissim mattis elementum id sed senectus laoreet blandit faucibus vitae quam aliquam nibh lacus, rhoncus massa placerat urna.

Olivia Michelle

Founder, CEO of evermed

Our Values

Congue ultric in pellentesque sodales egestas faucibus accumsan.

01.
Innovation

Id leo massa lacinia morbi pulvinar venenatis, etiam amet purus in interdum proin nisl morbi eleifend.

02.
Teamwork

Senectus nisl ultricies mi urna, curabitur amet adipiscing eget convallis ultricies lacus eget sed adipiscing eu.

03.
Sustainable

Sed morbi ut ullamcorper sodales et congue laoreet massa sit sit hendrerit morbi gravida malesuada sem.

04.
Integrity

Pharetra adipiscing rutrum et imperdiet sapien, semper blandit vulputate morbi bibendum leo et leo in praesent.

05.
Excellence

Adipiscing quis quis rhoncus etiam lobortis feugiat massa augue aliquam, dictum nulla suspendisse congue tincidunt lectus.

06.
Commitment

Morbi habitasse est vitae mauris sit sit luctus vestibulum lorem tincidunt eu leo nulla pellentesque enim.

Our Products

Committed to Quality

Dictum vel donec viverra habitasse vitae commodo neque libero odio tempus eget laoreet id arcu molestie.

Clinical Development

Quam eu aliquet aliquam tincidunt sit at adipiscing.

Regulatory & Access

Vitae non at sed augue mauris diam feugiat.

Biotech

Ornare volutpat, tellus nisl ut non lorem lacinia.

Functional Service

Venenatis laoreet tortor id sapien mattis quis integer.

Our Purpose

Quis volutpat scelerisque quis massa in dolor nunc lectus cursus odio.

Accumsan mauris lobortis facilisi suspendisse pellentesque fermentum elit hac id pretium a diam accumsan commodo, lacinia ultrices ipsum magna vivamus at massa tortor.

At tincidunt lectus faucibus vulputate amet, ultrices in maecenas adipiscing gravida faucibus mauris leo fermentum vitae lobortis sed adipiscing eu a, urna congue at eget purus quis senectus risus odio ut adipiscing ac pretium fringilla sodales vitae sit.

Our Brands

ओमबड्समेन को शिकायत करने की रीति

01.

कोई व्यक्ति घटना घटित होने की तारीख से तीन माह के भीतर ओम्बड्समेन को लिखित में शिकायत कर सकेगा।।

02.

शिकायत डाक द्वारा या ईमेल द्वारा प्रेषित की जा सकती है।

03.

शिकायत डाक द्वारा ओमबड्समेन के पते पर प्रेषित की जावे।

04.

शिकायत ईमेल द्वारा निम्नलिखित ईमेल आई.डी. पर प्रेषित की जावे। mpsacs@gmail.com

05.

शिकायत कर ने हेतु निर्धारित प्रपत्र की लिंक नीचे दी गयी है।

अपीलीय अधिकारी

भा.प्र.से.
सचिव, म.प्र. शासन
लोक स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण विभाग,
मंत्रालय वल्लभ भवन, भोपाल
दूरभाष- 0755 – 2708787
ई मेल- secretary.health@mp.gov.in

जिला शिकायत अधिकारी

01.

जिला स्तर पर जिलामुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी, पदेन जिला शिकायत अधिकारी होगा। जिला शिकायत अधिकारी पहले शिकायत का परीक्षण करेगा और शिकायत प्राप्ति के 30 दिनों के भीतर मुद्दे के निराकरण का प्रयास करेगा अन्यथा शिकायत ओम्बड्मेन को अग्रेषित की जाएगी।

02.

शिकायत सीधे ओम्बड्मेन को भी प्रेषित की जा सकेगी।